Thursday, June 20, 2019

以上是这次上海预备会议的主要组织和筹办者

在对话环节开始后,与会者提出了一系列感兴趣的问题,如:中国人口老龄化之后,中国从欧洲和西方的社会福利能学到什么?与其他国家相比,为什么中国企业家更愿意到英国来创业?在全球很多地方出现反全球化的运动中,许多地区都提出了现代化的新观点,根据我对中国所做的发展人类学的田野调查,为什么那些观点对中国主流现代化观点没什么影响?在现代化的进程中,中国要重视什么亚洲或中国价值,什么亚洲价值会使中国现代化放弃西方化的过程?中国不仅与西欧不同,与东欧也有很多差异,如我们说长期是四、五年,中国是上百年,在时期的长度的理解上差距非常之大,在世界变得越来越小的时候,如何寻找到一种什么样的时间上的同步,对这样的全球问题如何理解
在嘉宾与参与者互动之后,马丁·阿尔布劳教授的一席话对本次对话活动作了点睛之笔,他说,从阐释社会学角度看,研究“他者”的过程是另人沮丧的,我们没办法完全相互了解,人们永远不会完全了解一种外语,其实,也不能完全了解自己的母语,正如我们不可能完全了解别人或家人,在已有的基础上,尽量完善全球治理,尽量合作吧!       全球中国对话是一项系列活动,旨在从跨学科的和比较的视野,通过华人和非华人学者、专家、专业人士、从业者以及感兴趣者们的公共对话和讨论,提高公众对当前全球事务和共同感兴趣的话题的理解。它为中国和华人参与全球治理、推进全球公共利益等提供了一个平台。
全球中国对话系列已于2014年12月17日在伦敦正式启动,英国著名人类学家、中国研究专家王斯福(Stephan Feuchtwang)教授,英国社会学会荣誉副会长、德国波恩大学高研院院士马丁·阿尔布劳(Martin Albrow)教授,中国驻英国大使馆文化处公使衔参赞项晓炜先生等到会参与活动。详情点击这里。
2015年是中英文化交流年,有大量的文化活动正在策划,部分已经开始落实。
本次上海预备会议邀请各界对中英文化交流感兴趣的同仁将围绕“中英文化交流战略合作与实际操作”的主题和相关议题展开讨论。

Sunday, June 16, 2019

चर्चा में रहे लोगों से बातचीत पर आधारित साप्ताहिक कार्यक्रम

इंटरमीडिएट बोर्ड की ओर से गैर सहायता प्राप्त प्राइवेट जूनियर कॉलेजों पर लगे आरोपों पर गठित जांच कमेटी की रिपोर्ट में कहा गया है, "एक व्यक्ति की खुदकुशी निजी, सामाजिक और नैतिक त्रासदी है. ये तकलीफ तब और भी बढ़ जाती है जब वो शख़्स अभी नौजवान और उसने पूरी ज़िंदगी ठीक से देखी भी न हो. ऐसे हादसे समाज के आर्थिक, सामाजिक और नैतिक ताने-बाने पर सवालिया निशान लगाती है."
इस रिपोर्ट में ये भी कहा गया है, "कमेटी और प्रबंधन की राय में इस समस्या को बढ़ाने में माता-पिता और अधिकारियों का भी योगदान रहा है. मैनेजमेंट के वित्तीय हित, माता-पिता की उम्मीद से ज्यादा लक्ष्य और इंटरमीडिएट बोर्ड की निष्प्रभावी व्यवस्था, इन सबका एकसमान योगदान है."
ये रिपोर्ट सरकार और इंटरमीडिएट बोर्ड को 2001 में सौंपी गई थी. इसमें अनुशंसा की गई थी कि प्राइवेट कॉलेजों में सीमित संख्या में नमांकन हों, पेशेवर काउंसलरों की नियुक्ति हो, खेलकूद को अनिवार्य बनाया जाए और छात्रों के साथ माता पिता की भी करियर काउंसिलिंग हो. लेकिन इन अनुशंसाओं को अब तक लागू नहीं किया गया है.
इस बीच मनोवैज्ञानिकों का एक तबका ये महसूस करता है कि मौजूदा शिक्षा व्यवस्था का छात्रों के दिमाग पर काफी असर होता है.
मनोचिकित्सक वासुप्रदा कार्तिक कहते हैं, "परीक्षा के कॉन्सेप्ट से ही छात्रों में दबाव आ जाता है. बच्चों की ही नहीं, बल्कि माता-पिता और समाज की उम्मीदें भी बहुत ज़्यादा होती हैं. संस्थान भी अपने छात्रों पर दबाव डालते हैं. हर छात्र की क्षमता अलग-अलग होती है. हर छात्र से परीक्षा पास करने की उम्मीद करना सही नहीं है. छात्रों को समय-समय पर काउंसलिंग की जरूरत होती है. छात्रों के साथ-साथ माता-पिता के बीच में भी जागरूकता बढ़ाने की जरूरत है. उन्हें परीक्षाओं में पास होने से बाहर की दुनिया देखने की इजाजत होनी चाहिए."
मैनचेस्टर की भीगी पिच से जब आख़िरी बार कवर हटे तो पाकिस्तान के सामने पीछे करने के लिए एक बहुत बड़ा टार्गेट था. 30 गेंदों में 136 रन!
ठीक मेरे पीछे खड़े आमिर ने कहा, "अब बहुत हो गया, मैं अब इसे और नहीं देख सकता." भारत और पाकिस्तान का ये महामुकाबला देखने के लिए आमिर कराची से मैनचेस्टर पहुंचे थे.
लेकिन जब बारिश के कारण पाकिस्तान के ओवर काट दिए गए और टार्गेट कम कर दिया गया तो उनके सपने भी चकनाचूर हो गए.
पूरे मैच पर भारत हावी रहा और अब विश्व कप के मुक़ाबलों में वो पाकिस्तान से 7-0 से आगे है. हम सबने ये मैच देखा है इसलिए आज मैं मैच की बात नहीं करूंगा बल्कि उस विशेष अनुभव को बताउंगा जो मैंने महसूस किया. और जिसकी वजह से मैच की आख़िरी गेंद हो जाने के बाद मुझे एक विशेष सुकून महसूस हुआ और मेरे चेहरे पर मुस्कान खिल गई.
मैं जानता था कि ये दिन बहुत व्यस्त रहने वाला है और हम सब इसके लिए तैयार थे. मैंने बहुत से क्रिकेट मैच देखे हैं लेकिन मैं ये जानता था कि ये विशेष है.
हमने जैसे ही अपनी टैक्सी से उतरकर ओल्ड ट्रैफर्ड के बाहर क़दम रखा क्रिकेट के जुनून ने हमें घेर लिया. भारत और पाकिस्तान के प्रशंसक मैदान में दाख़िल होने के लिए कतारों में खड़े थे. विश्व कप का सबसे बड़ा मुक़ाबला यहीं होने वाला था.
झंडे लहरा रहे थे, लोग नाच रहे थे, फैंस अपनी-अपनी टीमों का जोश बढ़ाने के लिए नारेबाज़ी कर रहे थे और क्या कुछ था जो नहीं हो रहा था!
भारत और पाकिस्तान के बीच जब भी मुक़ाबला होता है एक अलग ही जोश लोगों में दिखता है. तनाव, रोमांच और हिलोरे मारते दिल.
जिनके पास टिकट थे वो स्टेडियम चले गए और जिन्हें टिकट नहीं मिल सके थे वो ख़ासतौर से इस मैच के लिए कैथेडरल गार्डन में बनाए गए फैन जोन में आ गए.
विश्वास कीजिए मैं उन दुर्भाग्यशाली लोगों में से हूं जिनके पास विश्व कप को कवर करने की मान्यता तो थी लेकिन इस मैच को कवर करने की मान्यता नहीं थी. आप कल्पना कर सकते हैं कि मैं किन हालातों से गुज़र रहा था. लेकिन आज मुझे बिलकुल नया अनुभव हुआ. जो मैंने देखा वो बहुत ख़ास था.
मैच जब शुरु हुआ तो धूप खिली थी और सूरज चमक रहा था. फैंस जोन पूरी तरह खचाखच भरा था. मैं और मेरे साथ काम कर रहे हमारे वीडियो पत्रकार केविन किसी अच्छी जगह की तलाश में थे. और फिर मुझे वो जगह दिखी.
एक विशाल स्क्रीन लगी थी जिसके दोनों और समर्थक थे. बाईं और नीला सैलाब था और दाईं और हरियाली. आमतौर पर स्टेडियम में आपको ये नज़ारा नहीं दिखता है. वहां फैंस मिले जुले होते हैं. लेकिन यहां स्पष्ट तौर पर बंटे हुए दो पक्ष थे.
भारत ने अपनी पारी की सावधान शुरुआत की और उसके बाद जो तूफ़ान आया उसे रोहित शर्मा कहते हैं. रोहित ने मैदान के हर कोने में गेंद को भेजा. पाकिस्तान के लिए मोहम्मद आमिर ने विशेष स्पेल किया.
जब भी भारत की ओर से चौका या छक्का लगता, बाईं और के दर्शकों में एक लहर उठती और हवा में शोर गूंजने लगता. यहां भारती प्रशंसक ढोल बजा रहे थे, नारेबाज़ी कर रहे थे और हर बाउंड्री पर नाच रहे थे.
और जब जब गेंद बल्लेबाज़ को मात देते हुए विकेटकीपर के दस्तानों में समाती दाईं ओर के लोगों में जोश भर जाता. जब तक बारिश ने पहली बार खेल को रोका ये चलता रहा.
जय आचार्य रेडियो जॉकी हैं और स्थानीय रेडियो पर शो करते हैं. उन्होंने मुझसे कहा, "तुमने बिलकुल सही जगह चुनी है. तुम जानते हो बीच में क्या होने वाला है? तुम दोनों पक्षों के बीच में फंसने वाले हो!"
मैं हंसा और फिर मैंने इन दो देशों के बीच के तनाव को महसूस किया. मैं झूठ नहीं बोलूंगा. यहां बहुत तनाव था, दोनों ही ओर के प्रशंसकों के चेहरों पर दबाव साफ़ दिख रहा था. लेकिन इस तनाव में कोई शत्रुता नहीं थी.
बारिश ने जब खेल को रोका तो मैंने बीबीसी की भारतीय भाषाओं के पन्नों पर यहां के फ़ैंस के साथ फ़ेसबुक लाइव किया. दोनों ही ओर के फ़ैंस मुझे अपनी ओर बुला रहे थे लेकिन मैं जहां खड़ा था वहीं खड़े रहना मैंने बेहतर समझा.
अब तक काफ़ी खेल खेला जा चुका था और दर्शक जान गए थे कि मुकाबला किस ओर बढ़ रहा है. लोग बारिश पर गुस्सा निकाल रहे थे लेकिन मैं तो बारिश को शुक्रिया कह रहा था.
ये जो बीच में छोटा से ब्रेक था ये एक ज़रूरी ब्रेक था. इस दौरान दोनों ओर के बंधन टूट गए और फैंस एक दूसरे से मिलने लगे. जब बारिश शुरू हुई तो यहां मौजूद डीजे ने बॉलीवुड के गीत बजा दिए और लोग उन पर थिरकने लगे. ये एक जादुई पल था. दो देशों के लोग बालीवुड के गानों पर एक साथ नाच रहे थे.
बारिश के बाद जब खेल फिर शुरु हुआ तो माहौल बिलकुल अलग था. मैच की शुरुआत का तनाव जा चुका था. नीली लहर हरियाली में मिल चुकी थी. ये एक ख़ूबसूरत नज़ारा था.
आप कह सकते हैं कि बारिश ने मैच ख़राब किया लेकिन मैं कहूंगा कि इसने लोगों को मिलाया. बंदिशों को तोड़ा और उन्हें एक कर दिया. मैंने बहुत से भारतीय और पाकिस्तानी फ़ैंस से बात की. एक बात स्पष्ट थी.
हर फ़ैन चाहता था कि उसकी टीम जीतें और उसे अपनी टीम के जीतने का पक्का भरोसा भी था. लेकिन कोई भी दूसरी टीम के बारे में कुछ भी बुरा नहीं कह रहा था. ये एक बदलाव था. एक सुखद और ताज़ा अहसास देने वाला बदलाव.
अजीत प्रसाद उन समर्थकों में शामिल थे जिन्होंने बारिश के ब्रेक के दौरान पाकिस्तानी और भारतीय फैंस के हाथ में गेंद बल्ला थमा दिया. उन्होंने कहा, "कौन जीते कौन हारे इससे फर्क नहीं पड़ता. इस मैच ने हमें जीवनभर के लिए अच्छे दोस्त दे दिए हैं. हमें पाकिस्तान और उसके प्रसंशकों को लेकर पूर्वाग्रह थे और उनके मन में भी हमारे बारे में ग़लतफ़हमियां थीं. इस मैच का शुक्रिया. ख़ासतौर पर बारिश का शुक्रिया जो हमें क़रीब ले आई. मुझे लगता है कि जो रिश्ते आज बने हैं वो जीवनभर रहेंगे."
हम सब जानते हैं कि मैच में क्या हुआ. लेकिन हर रन पर और हर विकेट पर यहां एक अलग ही जोश था. हर रन और विकेट पर लोग एक दूसरे को छेड़ते. लेकिन ये मज़ाक बनाने के लिए नहीं था बल्कि सिर्फ़ मस्ती के लिए था!
भारतीयों और पाकिस्तानियों, उनकी प्रतिद्वंदिता, उनकी लड़ाइयों और उनसे जुड़ी हर चीज़ के बारे में एक अलग ही तस्वीर पेश की जाती है. लेकिन इस मैच के बाद में निश्चिंत हूं कि स्लेट को फिर से साफ़ कर दिया गया है. कम से कम उन लोगों के लिए तो ज़रूर जो मेरे साथ यहां फ़ैन ज़ोन में मौजूद थे.