Wednesday, December 19, 2018

الحرب في اليمن: هدوء في الحديدة بعد دخول وقف إطلاق النار حيز التنفيذ

تصدّر هاشتاغ #عوني_مطيع مواقع التواصل الاجتماعي في الأردن خلال ساعات قليلة من خبر إلقاء القبض عليه. وكتب عنه كبار المسؤولين في صفحاتهم في تويتر وفيسبوك بمن فيهم رئيس الوزراء عمر الرزاز الذي كتب: "مطيع في قبضتنا وللحديث بقية".
وسرعان ما علق الناشطون الأردنيون في مواقع التواصل الاجتماعي على جملة الرزاز المبهمة.
واستغرب ناشطون آخرون من عبارة "للحديث بقية" التي جاءت في تغريدته، إذا كتب عدد من الناشطين والحقوقين جملٍ عن الفساد دون إكمالها لينتهوا بعبارة الرزاز " وللحديث بقية".
وكتبت رئيسة الهيئة الإدارية لمركز الشفافية هيلدا عجيلات: "مسكوا عوني مطيع؟ بدنا تكشفوا أعوانه ومين ساعده على الهروب خارج الأردن، من حقنا نعرف"
قال محامي مطيع عوني، وصفي أبو رمان إن موكله بريء من التهم الموجهة إليه وإن هناك الكثير من النقاط التي يستطيع الاستناد عليها لإثبات براءته".
ومع اقتراب إقرار قانون للعفو العام بالمملكة، يتخوف الناس من شموله بالعفو، إلا أن وزير الشؤون القانونية مبارك أبو يامين أكد عدم شموله في القرار قائلاً: " إن الحكومة أخذت بعين الاعتبار خلال دراسة العفو العام إنه يجب ألا يشمل كل من يمد يديه على المال العام".
ووجد الناشطون والحقوقيون في الأردن في عملية إلقاء القبض على عوني فرصة للمطالبة باإلقاء القبض على جميع المتهمين بالفساد وفي أعلى المستويات.
تفيد التقارير الواردة من اليمن بأن الاشتباكات بين القوات الموالية للحكومة والحوثيين في مدينة الحديدة قد هدأت بعد دخول وقف إطلاق النار حيز التنفيذ.
ووقعت اشتباكات متفرقة بعد منتصف الليل، لكن السكان يقولون إن الهدوء يسود المدينة.
وقال مبعوث الأمم المتحدة إلى اليمن مارتن غريفيث إن البوادر تشير إلى أن تنفيذ الاتفاق يسير بشكل جيد.
وهددت معارك الحديدة عمل ميناء المدينة، وهو المعبر الرئيسي للمساعدات الإنسانية إلى اليمن.
ويقف نصف عدد سكان اليمن (14 مليون شخص) على حافة المجاعة، وتشير تقديرات إلى وفاة 85 ألف طفل بسبب سوء التغذية.
وقد تعرض اليمن للدمار مع تفاقم النزاع عام 2015، حين استولى الحوثيون على مناطق واسعة من بينها العاصمة صنعاء، وأجبر الرئيس عبد ربه منصور هادي على الفرار خارج البلاد.
وتقود السعودية تحالفا عسكريا دعما للحكومة المعترف بها دوليا في مواجهة الحوثيين، المدعومين من إيران.
أعلن عن وقف إطلاق النار الذي يشمل ميناء الحديدة ورأس عيسى الأسبوع الماضي، عقب محادثات في العاصمة السويدية ستوكهولم، لكن تنفيذ الاتفاق تأخر بضعة أيام بسبب اشتباكات عنيفة.
وقال الحوثيون، الذين يسيطرون على المدينة والميناء، وحكومة هادي إنهم ملتزمون بالاتفاق.
ووقعت اشتباكات متفرقة على امتداد خط التماس في ميناء الحديدة فجر الثلاثاء.
وقال غريفيث لبي بي سي "المشكلة أن هناك حاجة لفصل القوات لأن أفراد الطرفين يلجأون للسلاح حين يرون أي سلوك يعتبرونه استفزازيا، لذلك من المتوقع أن يستمر هذا، لكن الوضع بشكل عام مشجع".
تنص اتفاقية ستوكهولم على أن يقوم الطرفان بإعادة الانتشار في المدينة والموانئ إلى مواقع متفق عليها فور دخول الاتفاقية حيز التنفيذ.
وقال غريفيث إن الأمم المتحدة ستعقد اجتماعا، ربما الأربعاء، وسيكون هذا الاجتماع الأول للجنة تنسيق إعادة الانتشار التي ستراقب تنفيذ الاتفاق. وسيشارك في الاجتماع ممثلون عن الطرفين المتنازعين.
وستشهد المرحلة الأولى لإعادة الانتشار انسحاب القوات من الموانئ والمناطق الحيوية التي تحوي المنشآت الإنسانية، وستضطلع الأمم المتحدة بدور رئيسي.
وقال غريفيث "بحلول نهاية السنة ، نأمل أن نصل إلى فصل القوات".
ويجب أن نكمل عملية إعادة الانتشار خلال 21 يوما من دخول الاتفاقية حيز التنفيذ، وهذا يشمل الانسحاب الكامل من الطريق الرئيسي الذي يربط ميناء الحديدة بالعاصمة صنعاء، وهو حيوي لعملية نقل المساعدات الإنسانية إلى السكان.
وتتضمن اتفاقية ستوكهولم عملية تبادل للأسرى وتسهيل إيصال المساعدات إلى مدينة تعز التي يحاصروها الحوثيون.
يذكر أن الحرب في اليمن أسفرت عن مقتل 6600 مدني، على الأقل، وفقا للأمم المتحدة.
ويحتاج أكثر من 22 مليون شخص إلى مساعدات إنسانية، كما أسفر الصراع عن انتشار وباء الكوليرا الذي طال مليون شخص.

Friday, September 28, 2018

र सैलानी आजाद, चौपर से एयरलिफ्ट कर कुल्लू पहुंचाए

की मार से लाहुल घाटी में कैद 36 और सैलानी शुक्रवार को आजाद हो गए। प्रशासन के रेस्क्यू आपरेशन के चौथे दिन हेलिकाप्टर के जरिए इन सैलानियों को एयरलिफ्ट किया गया। पौ फटते ही वायु सेना के हेलीकाप्टर ने पहली उड़ान छतडू, छोटा दड़ा के लिए भरी और दूसरी उड़ान आर्मी कैंप के लिए भरी गई। दोनों उड़ानों में 36 पर्यटकों को सुरक्षित निकाल लिया गया। ये सैलानी महाराष्ट्र दिल्ली और मुंबई के हैं। सभी पर्यटकों को ढालपुर मैदान में पहुंचाया गया । सभी का प्राथमिक उपचार क्षेत्रीय अस्पताल में चल रहा है। एसी-टू-डीसी सन्नी शर्मा ने बताया कि पिछले चार दिनों से चले रेस्क्यू आपरेशन में वायु सेना के हेलीकॉप्टर के माध्यम से अब तक 146 सैलानियों को रेस्क्यू किया जा चुका है। अब भी 25 पर्यटक फंसे हुए हैं।कोर्ट ने शुक्रवार को फिर ऐतिहासिक फैसला सुनाया. केरल के सबरीमाला मंदिर में लगी महिलाओं की एंट्री पर रोक को सर्वोच्च अदालत ने हटा दिया है. केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं की एंट्री पर लगी रोक अब खत्म हो गई है. शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के 5 जजों की बेंच ने अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाया. पांच जजों की बेंच ने 4-1 (पक्ष-विपक्ष) के हिसाब से महिलाओं के पक्ष में फैसला सुनाया. करीब 800 साल पुराने इस मंदिर में ये मान्यता पिछले काफी समय से चल रही थी कि महिलाओं को मंदिर में प्रवेश ना करने दिया जाए. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस चंद्रचूड़, जस्टिस नरीमन, जस्टिस खानविलकर ने महिलाओं के पक्ष में एक मत से फैसला सुनाया. जबकि जस्टिस इंदु मल्होत्रा ने सबरीमाला मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया. फैसला पढ़ते हुए चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि आस्था के नाम पर लिंगभेद नहीं किया जा सकता है. कानून और समाज का काम सभी को बराबरी से देखने का है. महिलाओं के लिए दोहरा मापदंड उनके सम्मान को कम करता है. चीफ जस्टिस ने कहा कि भगवान अयप्पा के भक्तों को अलग-अलग धर्मों में नहीं बांट सकते हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 25 के मुताबिक सभी बराबर हैं. समाज में बदलाव दिखना जरूरी है, व्यक्तित्व गरिमा अलग चीज है. पहले महिलाओं पर पाबंदी उनको कमजोर मानकर लगाई गई थी. जस्टिस नरीमन ने अपना फैसला पढ़ते हुए कहा कि महिलाओं को किसी भी स्तर से कमतर आंकना संविधान का उल्लंघन करना ही है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सबरीमाला मंदिर की ओर से याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि वह इस पर रिव्यू पेटिशेन दायर करेंगे.आस्ट्रेलिया के डी आर्की शार्ट लिस्ट ए क्रिकेट में सर्वाधिक व्यक्तिगत स्कोर बनाने वाले तीसरे बल्लेबाज़ बन गये हैं और इस मामले में उन्होंने भारत के सलामी बल्लेबाज़ शिखर धवन को पीछे छोड़ दिया है। शार्ट ने 148 गेंदों में रिकार्ड 23 छक्कों की मदद से 257 रन बनाये और 11 रनों के अंतर से वह लिस्ट ए क्रिकेट में सर्वाधिक व्यक्तिगत स्कोर बनाने का रिकार्ड अपने नाम करने से मात्र 11 रन ही पीछे रहे। किसी आस्ट्रेलियाई खिलाड़ी का एकदिवसीय प्रारूप में भी यह सर्वाधिक स्कोर है। उन्होंने अपनी इस पारी से जेएलटी वनडे कप में क्वींसलैंड के खिलाफ यह पारी खेली और अपनी टीम वेस्टर्न आस्ट्रेलिया को 116 रन से जीत दिला दी। शार्ट ने इसी के साथ लिस्ट ए में सर्वाधिक व्यक्तिगत स्कोर के मामले में भारतीय बल्लेबाज़ धवन को पछाड़ दिया है जिनके 248 रन हैं। धवन इसी के साथ सूची में खिसककर चौथे नंबर पर आ गये हैं जबकि भारत के ही रोहित शर्मा 264 रनों के साथ दूसरे नंबर पर जबकि अली ब्राउन 268 रनों के साथ शीर्ष स्थान पर हैं। वेस्टर्न आस्ट्रेलिया की पारी में तीसरे नंबर पर उतरे शार्ट के अलावा अन्य कोई बल्लेबाज़ 30 रन के पार नहीं जा सका। उन्होंने 148 गेंदों की पारी में 15 चौके और 23 छक्के लगाते हुये 257 रन ठोक डाले और आठवें बल्लेबाज़ के रूप में आउट हुये। शार्ट ने कमाल की बल्लेबाज़ी की और अपने 100, 150, 200 और 250 रन छक्के जड़ने के साथ पूरे किये। उनकी यह पारी आस्ट्रेलिया की तरफ से चौथा 200 के पार का स्कोर है।

Friday, September 14, 2018

दिल छू लेगी नए जमाने के 'लैला-मजनू' की कहानी

जब वी मेट', 'लव आज कल', 'रॉकस्टार' और 'तमाशा' जैसी फिल्में बनाने वाले फिल्ममेकर इम्तियाज अली की नई फिल्म लैला मजनू कहानी कश्मीर की खूबसूरत वादियों से शुरू होती है। अली की लैला (तृप्ति डिमरी) एक दिलचस्प किरदार है। वो अपनी खूबसूरती के बारे में जानती है और लड़कों से मिलने वाले अटेंशन को एन्जॉय भी करती है। जब कैस (अविनाश तिवारी) लैला से मिलता है तो दोनों अपने आप ही एक-दूसरे की तरफ खिंचे चले जाते हैं। कैस के बारे में कहा जाता है कि वो शराबी और लड़कीबाज है। कैस के बारे में ऐसी बातें पता चलने पर लैला का इंटरेस्ट बढ़ जाता है। फ्लर्ट से शुरू हुई बातचीत गहरे प्यार में बदल जाती है। कैस, लैला के लिए जुनूनी हो जाता है और यही से उसकी बर्बादी की शुरुआत होती है। लैला के पिता (परमीत सेठी) एक पावरफुल आदमी है। उनका कैस के पिता (बेंजामिन गिलानी) से प्रॉपर्टी को लेकर झगड़ा चल रहा है, इसलिए दोनों फैमिलीज लैला-मजनू के प्यार को एक्सेप्ट नहीं करतीं। कैस देश छोड़कर चला जाता है। चार साल बाद वो वापस आता है लेकिन अब वो पागलपन की कगार पर पहुंच चुका है।
अगर बात करे एक्टिंग की तो फिल्म का हीरो कैस (अविनाश) फिल्म की ताकत है। तृप्ति खूबसूरत हैं और उन्होंने अपने किरदार को बखूबी निभाया है लेकिन फिल्म की जान अविनाश तिवारी ही हैं। इम्तियाज अली ने कैस के किरदार पर ही फोकस किया है और उनके पागलपन को दिखाया है। तिवारी ने इस किरदार को बेहतरीन तरीके से निभाया है। ऐसा कह सकते हैं कि वे एक शानदार अभिनेता हैं। साजिद ने 2 घंटे 15 मिनट की इस फिल्म को कहीं भी भटकने नहीं दिया। आखिर में इमोशन को दिखाते हुए ऐसा लगता है कि उन्होंने अपना कंट्रोल खोया है। फिल्म कहीं-कहीं सूरज बड़जात्या की 'मैंने प्यार किया' को ट्रिब्यूट देती दिखाई देती है।मांटिक फिल्मों के एक्सपर्ट बन चुके इम्तियाज अली के भाई साजिद अली ने इस फिल्म को डायरेक्ट किया है। साजिद ने इस फिल्म के साथ पूरा न्याय किया है। साहसी लैला और दीवाने मजनू के कैरेक्टर को शानदार तरीके से गढ़ा गया है। शशांक भट्टाचार्य ने बेहतरीन सिनेमेटोग्राफी कर कश्मीर की खूबसूरती को दिखाया है जिसने इस लव स्टोरी को रियल बनाने का काम किया है। साजिद ने बिना किसी इंटीमेट सीन के प्यार की गहराई को दिखाया है। आज के समय में जब लव स्टोरीज बहुत फास्ट दिखाई जाती हैं, लैला मजनू की कहानी धीरे-धीरे गहराई में उतरती है। जिसमें दो प्रेमियों का पागलपन दिखता है।
फिल्म का एक और प्लस प्वाइंट है इसका म्यूजिक। फिल्म में 10 गाने हैं लेकिन लगता है कि और होने चाहिए थे। म्यूजिक कंपोज निलादरी कुमार और जॉई बरुआ ने किया है। यह इस साल का बेस्ट म्यूजिक पीस हो सकता है। 
कुलमिलाकर अगर आप बॉलीवुड की घिसी-पिटी रोमांटिक फिल्मों से बोर हो चुके हैं और प्यार की इमोशनल और गहरी लव स्टोरी देखना चाहते हैं तो ये फिल्म जरूर देख सकते हैं।
गोलमाल सिरीज की पिछली किस्त ‘गोलमाल अगेन’ की शानदार सफलता ने बॉलीवुड में हॉरर-कॉमेडी विधा के लिए संभावनाओं के नए दरवाजे खोले हैं। ‘स्त्री’ भी इसी शैली की फिल्म है। हालांकि इसे सिर्फ इसी खांचे में रख कर देखना इसके साथ पूरा न्याय नहीं होगा। दरअसल यह फिल्म केवल डर और हंसी ही नहीं परोसती, कुछ कहने का प्रयास भी करती है।
फिल्म की कहानी घटती है मध्यप्रदेश के ऐतिहासिक शहर चंदेरी में। चंदेरी अपनी सिल्क और कॉटन की हस्तनिर्मित साड़ियों के लिए मशहूर रहा है, लेकिन फिल्म की कहानी का उससे कोई लेना-देना नहीं है। हां, कपड़े से फिल्म के तार जरूर जुड़े हैं। चंदेरी में तीन दोस्त रहते हैं- विकी (राजकुमार राव), बिट्टू (अपारशक्ति खुराना) और जना (अभिषेक बनर्जी)। विकी बहुत अच्छा टेलर है और अपने पिता (अतुल श्रीवास्तव) के साथ मिल कर सिलाई की दुकान चलाता है। बिट्टू की रेडिमेड कपड़े की दुकान है और जना क्या करता है, पता नहीं। विकी टेलरिंग का काम बहुत बेहतरीन करता है। आसपास के इलाके में उस जैसा शानदार टेलर कोई नहीं है। उसके पिता उसे दुकान पर ध्यान देने के लिए कहते हैं, लेकिन वह कुछ बड़ा करना चाहता है। एक दिन उसकी मुलाकात एक लड़की (श्रद्धा कपूर) से होती है, जो उसे एक लहंगा सिलने के लिए देती है। विकी को उससे प्यार हो जाता है। वह लड़की चंदेरी में पूरे साल में सिर्फ चार दिन के लिए आती है, जब चंदेरी में भव्य चार-दिवसीय पूजा का आयोजन होता है। इन चार दिनों में चंदेरी में एक अजीबोगरीब घटना होती है। एक ‘स्त्री’ वहां के पुरुषों को उठा कर ले जाती है और उनके कपड़े छोड़ जाती है। जहां ‘स्त्री कल आना’ लिखा होता है, वह उस जगह नहीं जाती, इसलिए चंदेरी में लोग सुरक्षा के लिए अपने घरों के आगे ये वाक्य लिखवाते हैं।
स्त्री के बारे में किसी को ज्यादा जानकारी नहीं है, लेकिन इसी शहर के एक पुस्तक भंडार के मालिक रुद्र (पंकज त्रिपाठी) का दावा है कि उन्होंने ‘स्त्री’ पर बहुत शोध किया है। वह एक दिन बिट्टू और जना को ‘स्त्री’ से बचे रहने का मंत्र देते हैं, लेकिन अंतिम बात बताने से पहले उनको कहीं जाना पड़ता है। और एक दिन ‘स्त्री’ जना को उठा कर ले जाती है। बिट्टू को शक है कि विकी की प्रेमिका ही ‘स्त्री’ है। विकी और बिट्टू, रुद्र के साथ मिल कर अपने दोस्त जना को ढूंढ़ने में लग जाते हैं। शहर का इतिहास लिखने वाले एक शास्त्री जी (विजय राज) उन्हें ‘स्त्री’ से बचाव का उपाय बताते हैं और फिर तीनों अपनी मुहिम में जुट जाते हैं। इसमें उन्हें साथ मिलता है विकी की प्रेमिका का...
इस हॉरर कॉमेडी में हास्य ज्यादा है और डर कम। ऐसा लगता है कि निर्देशक अमर कौशिक डर वाले तत्त्व को बहुत रखना भी नहीं चाहते थे, क्योंकि उनका मकसद लोगों को डराना नहीं, बल्कि उनका ध्यान खींचना लग रहा है। वह एक मनोरंजक तरीके से ‘स्त्री की बात’ कहना चाहते थे और व्यावसायिक पहलुओं को ध्यान में रखते हुए हॉरर-कॉमेडी विधा उन्हें सुरक्षित लगी होगी। इस फिल्म का सरल-सा संदेश है, जो संवादों और क्लाईमैक्स के जरिये सामने आता है। ‘स्त्री’ के साथ समाज ने ठीक सलूक नहीं किया। उसे जिस प्यार और सम्मान की चाह थी, उसे वह अपने समाज से नहीं मिला, बल्कि प्रताड़ना और दुत्कार मिली। लिहाजा ‘स्त्री’ क्रोधित है और स्त्री जब क्रोधित होती है तो संहारक बन जाती है। समाज को विनाश से बचना है तो उसे स्त्री की कद्र करनी होगी।
निर्देशक अमर कौशिक और लेखक जोड़ी राज निदिमोरू व कृष्णा डी.के. ने अपनी बात कहने में काफी हद तक सफलता पाई है। अमर कौशिक ने फिल्म पर अपनी पकड़ बनाए रखी है और दृश्यों की रचना अच्छी की है। बतौर निर्देशक वह प्रभावित करते हैं। फिल्म पहले दृश्य से रफ्तार पकड़ लेती है। मध्यांतर से पहले इसमें बहुत रोचकता है। कॉमेडी के शानदार पंच हैं। दूसरे हाफ में फिल्म का प्रभाव थोड़ा घटता है, लेकिन यह पटरी से नहीं उतरती। डर वाले दृश्य बहुत ज्यादा नहीं डराते, बस कभी-कभार थोड़ी झुरझुरी-सी पैदा करते हैं। बैकग्राउंड संगीत ठीक है, लेकिन उसको थोड़ा बेहतर किया गया होता तो फिल्म में भूतहा माहौल और उभर कर आता, इससे फिल्म के प्रभाव में थोड़ी वृद्धि होती। फिल्म की पटकथा अच्छी तरह लिखी गई है और संवादों में मजा के साथ जान भी है। निर्देशक और लेखकों ने व्यावसायिकता का पूरा ध्यान रखा है और इस बात की पूरी कोशिश की है कि संदेश के चक्कर में फिल्म सूखी न रह जाए। इसलिए फिल्म में एकाध जगह द्विअर्थी संवाद भी हैं, थोड़ा-सा रोमांस भी है और आइटम सॉन्ग भी। वैसे फिल्म के संगीत में बहुत दम नहीं है। दृश्यों में शहर का पुरानापन झलकता है, हालांकि सेट और बेहतर हो सकते थे।
राजकुमार राव बहुमुखी प्रतिभा वाले कलाकार हैं। किसी भी तरह की भूमिका हो, संजीदा या कॉमेडी, आतंकवादी या सीधे-साधे युवा की, हर भूमिका में उन्होंने खुद को साबित किया है। ‘स्त्री’ में भी अपने किरदार को उन्होंने अपने अभिनय से जानदार बना दिया है। श्रद्धा कपूर अब तक के अपने करियर में एक अलग तरह की भूमिका में हैं और उन्होंने उसे असाधारण तो नहीं, लेकिन ठीक तरीके से जरूर निभाया है। पंकज त्रिपाठी ऐसे अभिनेता हैं कि आप अगर उन्हें सिर्फ एक दृश्य और एक संवाद भी दें तो वे छाप छोड़ जाएंगे। उनकी रेंज भी शानदार है। उनकी संवाद अदायगी किसी भी किरदार को प्रभावी बना देती है। यह फिल्म भी अपवाद नहीं है। अपारशक्ति खुराना का अभिनय भी मजेदार है। इस तरह की भूमिकाओं में वे असर छोड़ते हैं। अभिषेक बनर्जी और अतुल श्रीवास्तव का काम भी अच्छा है। विजय राज सिर्फ एक दृश्य में हैं, लेकिन उसमें भी याद रह जाते हैं।
अपने प्रस्तुतीकरण के कारण ‘स्त्री’ एक देखने लायक फिल्म है। अगर आपको संदेश से बहुत लेना-देना नहीं रहता, तो भी यह फिल्म आपको निराश नहीं करेगी, क्योंकि इसमें मनोरंजन की मात्रा भी अच्छी है।

Monday, September 10, 2018

सबको लगता है इस घर में मौतों का डेरा है

हरपाल को सरकार से किसी भी तरह का मुआवज़ा नहीं मिला है. पति की मौत के बाद अब हरपाल के लिए ज़िंदगी बहुत मुश्किल हो गई है. क़र्ज़, बेटे की पढ़ाई और बेटी की शादी– तीन पहाड़ जैसी मुश्किलें हर रोज़ उनका पीछा करती हैं.
वह कहती हैं, “पशुओं का दूध बेचकर किसी तरह रोटी का इंतज़ाम करती हूं पर बाक़ी सब ठप पड़ा है. पिता की मौत के बाद मेरा बेटा पहली बार परीक्षाओं में फ़ेल हुआ. बेटी की शादी के लिए रिश्ते नहीं मिल रहे हैं. कोई हमारे यहाँ शादी ही नहीं करना चाहता. सबको लगता है इस घर में मौतों का डेरा है. अब तो मुझे भी लगने लगा है कि हमारे घर में ही कुछ ग़लत होगा. अपने रिश्तेदार भी घर आने से कतराते हैं. उनके बिना कहीं आने जाने के लिए भी पड़ोसियों की मोहताज हो गई हूँ. आगे क्या होगा कुछ समझ नहीं आता”.
जिस पंजाब को ज़्यादातर उत्तर भारतीय जनमानस हरित क्रांति, समृद्धि, भांगड़ा और ख़ुशहाल किसानों से जोड़ता हैं, वहां की ज़मीनी सच्चाई आज मुख्तियार जैसे किसानों की कहानियों से भरी पड़ी है.
पंजाब सरकार की ओर से राज्य के तीन विश्वविद्यालयों की मदद से कराए गए पहले आधिकारी ‘डोर-टू-डोर’ सर्वे के मुताबिक़ पंजाब में वर्ष  और  के बीच  , किसानों ने आत्महत्या कर ली.
इन 16,606 किसानों में कुल 87 प्रतिशत मामलों में किसानों ने खेती से जुड़े ख़र्चों के लिए कर्ज़ लिया था और फिर उसे चुका न पाने की वजह से उन्होंने ख़ुदकुशी कर ली.
सरकारी आंकड़ो से बनी पंजाब की यह भयावय तस्वीर अभी पूरी नहीं होती. आगे यह भी जानिए कि अपनी जान ख़ुद लेने वाले इन किसानों में 76 प्रतिशत छोटे किसान हैं जिनके पास 5 एकड़ से भी कम ज़मीनें हैं.
मनसा ज़िले के भीमकालं गांव में हमारी मुलाक़ात एक ऐसे ही खेतिहर मज़दूर परिवार से होती है. इस परिवार की मुखिया हैं 50 वर्षीय बलदेव कौर.
बलदेव यूं तो पढ़ी लिखी नहीं हैं लेकिन पहले पति और फिर जवान बेटे की आत्महत्याओं ने उन्हें कवि बना दिया. उन्होंने अपना दुख पड़ोसियों को गाकर सुनाना शुरू किया और धीरे धीरे अपनों की मौत पर गीत बना लिए. आज उनके गीत ज़िले में किसानों के हक़ के लिए होने वाले विरोध प्रदर्शनों के ‘ऐन्थम सांग’ में बदल गए हैं.
अपनी भारी आवाज़ में सुर लगाकर ‘ख़ुदकुशियों दे राहें जित्ते प्यो दे पुत चले’ (ख़ुदकुशी की राह पर जिसके पति और बच्चे चले) गाती हुई बलदेव उदासी के साथ साथ संघर्ष की भी ज़िंदा तस्वीर लगती हैं.
हम खेतिहर मज़दूर हैं. हमारे पास अपनी कोई ज़मीन नहीं. इसलिए मेरे पति सिर्फ़ 8000 रुपए साल पर ज़मीनदारों के खेत में मज़दूरी किया करते थे. हम पर कर्ज़ा था और क़र्ज़ न उतार पाने की सूरत में मेरे पति ने घर बेच देने का भी क़रार किया हुआ था. हम कर्ज़ चुका नहीं पाए और मेरे पति ने स्प्रे पीकर आत्महत्या कर ली. मरने से पहले वो बहुत छटपटाए थे. फिर मैंने मज़दूरी करके अपने बच्चों को बड़ा किया. हमारे पास घर भी नहीं था. बारिश में मेरी झोपड़ी से पानी टपकने लगता और मैं बच्चों को एक कोने में लिए पड़ी रहती.
मैंने कर्ज़ा उतारने के लिए लोगों के खेतों और घरों में सब जगह काम किया. रोना आता पर गोबर तक साफ़ किया मैंने. लेकिन फिर भी कर्ज़ा न उतरा”.
कर्ज़ उतारने के लिए बलदेव का बेटा कुलविंदर 15 साल की उम्र से ही लेनदार ज़मीनदारों के यहां काम करने लगा.
मज़दूरी करते-करते ही 21 साल की उम्र में उनकी शादी करवा दी गई. उनका पहला बेटा सिर्फ़ 4 महीने का था जब कुलविंदर ने कीटनाशक पी कर ख़ुदकुशी कर ली. बलदेव के परिवार को दो आत्महत्याओं के बाद भी कोई मुआवज़ा नहीं मिला.
गाते गाते बलदेव का गला रुंध जाता है. दुपट्टे से आंसू पोछते हुए वो कहती हैं, “मुझे डर था इसलिए मैंने बेटे को नहीं बताया था कि हम पर कितना कर्ज़ है. पर वो बार-बार पूछता.
कहता माँ सच बता हम पर कितना कर्ज़ा है. फिर एक दिन उसे पता चल गया और उसने कहा कि हम कभी इतना कर्ज़ नहीं चुका पाएँगे. मैं चाहे कितनी भी हिम्मत बँधाती, पर वो अंदर से टूट चुका था.” में पंजाब सरकार ने किसान आत्महत्याओं के लिए एक नई ‘मुआवज़ा और राहत नीति’ को लागू किया. 2001 से पाँचवी बार बदली गयी इस नीति के तहत अब किसान आत्महत्याओं के सभी मामलों में पीड़ित परिवार को 3 लाख रुपए दिए जाने का प्रवधान है.
साथ ही किसानों की बढ़ती आत्महत्याओं के मद्देनज़र पंजाब सरकार ने दो कमेटियों का गठन किया है. सुखबिंदर सिंह सरकारिया की अध्यक्षता में ग्रामीण आत्महत्याओं के लिए बनी ‘विधान सभा कमेटी’ और टी हक़ की अध्यक्षता में बनी ‘ऋण छूट समिति’. इन कमेटियों ने ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ बढ़ाने से लेकर ‘ऋण छूट’ तक पर किसानों के पक्ष में अपनी सिफ़ारिशें तो दे दीं हैं लेकिन उन पर ज़मीनी कार्रवाई अब तक शुरू नहीं हुई है.
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय में पढ़ाने वाले प्रोफ़ेसर सुखपाल सिंह लंबे समय से पंजाब में बढ़ते कृषि संकट पर काम कर रहे हैं. वे राज्य सरकार की ओर से कराए गए ‘डोर टू डोर’ सर्वे के समन्वयक भी रहे हैं. बीबीसी से एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि किसानी में चल रही ‘व्यापार की शर्तें’ किसानों के पक्ष में नहीं जा रहीं.
“बीजों से लेकर खाद, पानी और कीटनाशकों तक पर होने वाले ख़र्च बढ़ते जा रहे हैं और किसान की आमदनी उस हिसाब से बढ़ नहीं रही. यह बढ़ते क़र्ज़ और आत्महत्याओं के पीछे एक बड़ी वजह है. हालात ये है कि पहले जहां पंजाब की कुल कामगार जनसंख्या में से 63 प्रतिशत लोग किसानी थे, वहीं आज राज्य के सिर्फ़ 35 प्रतिशत लोग ही खेती कर रहे हैं.इस 35 प्रतिशत में भी सिर्फ़ 20 प्रतिशत किसान हैं, बाक़ी खेतिहर मज़दूर”.
आगे बरनाला ज़िले के ही बदरा गांव में हमारी मुलाक़ात गुरतेज दास से होती है. 45 वर्षीय गुरतेज के घर में कोई महिला नहीं हैं.
गांव की मुख्य सड़क पर बने एक बदरंग धूल भरे घर में रहने वाले इस हिंदू किसान परिवार के पास सिर्फ़ एक एकड़ ज़मीन है. एक दशक पहले यह परिवार ज़मीन किराए पर लेकर खेती करता था. लेकिन जिस दिन गुरतेज के बड़े भाई निर्मल दास ने क़र्ज़ के कारण आत्महत्या की, उसी दिन यह परिवार बिखर गया.
गुरतेज ने अपना जीवन बड़े भाई के बच्चों को पाल पोस कर बड़ा करने में लगा दिया. निर्मल के जाने के बाद गांव वालों ने बच्चों की माँ और बड़े भाई की पत्नी सरबजीत कौर से उनका विवाह भी करवा दिया था.
पर सरबजीत उनको और अपने बच्चों को छोड़ कर चली गईं. बिन माँ के बच्चों को बड़ा करना गुरतेज के लिए एक ऐसी चुनौती थी जिसका सामना करने के लिए न तो वह मानसिक तौर पर तैयार थे और न ही आर्थिक.
अपनी धूल भरी रसोई में चाय बानते हुए वह कहते हैं, “जब बच्चों की माँ गई तब छोटा वाला सिर्फ़ 6 साल का था. रातों को उठकर रोता था. अक्सर बीमार पड़ जाता. मुझसे जैसे बनता मैं वैसे खाना बनाकर बच्चों को खिलाता और उनकी देखभाल करता. उनको नहलाता, कपड़े पहनाता और सारे काम करता. फिर मज़दूरी करने जाता और वापस आकर उन्हें खाना बनाकर खिलाता.”

Tuesday, September 4, 2018

采访姜克隽:缩小碳排量差距

在德班联合国气候变化会议上,讨论最久的话题之一,就是哥本哈根会议的减排承诺与为限制全球气温上升两摄氏度的目标之间的巨大减排缺口。
 
为促成谈判,联合国环境规划署( )发布了一份名为“消除减排缺口”的报告,报告指出,即使各国全面落实哥本哈根会议确定的减排承诺,世界也只有半成把握实现全球升温不超过两摄氏度的减排目标。但好消息是,我们现在有技术和财政能力来达到目标,以避免温度升高。 
 
我们有幸与中国能源究所研究员、联合国环境规划报告执笔人之一的姜克隽先生交流,请他谈谈中国能源研究所的相关分析,以及中国在德班会议上能为消除碳排放缺口做出什么样的努力。
 
问:联合国环境规划署的报告中指出,如果排放缺口被消除,全球温室气体排放量将在2020年达到峰值。你认为各国如何能同意这一点?中国何时会达到峰值? 
 
姜克隽:全世界碳排量在2020年前达到峰值是非常必要的。我们假设中国2025年排放量达到峰值,那么发达国家2025年之前减排量需要骤减。这样就有可能控制全球平均升温少于2度。在2015年前观察到全球排放峰值不大可能。对于中国来说,排放量预计在2030年左右达到峰值。但是,如果我们看到中国目前清洁技术的快速发展,未来3-4年有可能看到中国的巨大变化,以帮助消除排放缺口。
 
问:中国在哥本哈根会议承诺的碳排放浓度削减40-45%是否有助于消除排放缺口?
 
姜克隽:事实上中国的第十二个五年计划就是根据45%的碳排放强度消减目标来制定的。我们通过了很多提高能源效率和使用非化石燃料的政策和行动计划。如果这些工作顺利进行,中国绝对可以超额完成目标。
 
问:在大会中,技术转让依然是一个热点问题。中国是否将通过推动技术转让来帮助消除排放缺口?
 
姜克隽:许多来华资金是为了寻找你说的这种投资机会,但是目前国内的投资已经饱和,他们现在寻找更多的海外投资。投资清洁技术是个不错的选择,因为中国拥有可降低风能和太阳能发电的成本的具有市场竞争力的技术。这就是我们要传达给德班会议的:这不仅仅是减排量的竞争,也是各国未来在清洁技术领域的竞争。
 
未来中的国资金是很充裕的,就像我刚才说的,中国不是真的需要清洁发展机制的资金,这只是国内生产总值中很小很小的一部分。中国需要的是高端清洁生产技术。
 
问:你觉得德班会议能够实现什么内容?
 
姜克隽:这就是我对我们这些COP17与会观察员的建议。首先,我们希望给谈判留下更多空间。哥本哈根会议主题是争论,坎昆会议主题是向前看,德班会议是一个工作会议,各国并没有真正想打败对方,而是想完成从哥本哈根到坎昆之后的“功课”。
 
此外,参与德班会议的国家需要确定一些技术细节。例如,欧盟希望此时能够推动“路线图”计划,而像中国这样的国家都持观望态度。如果德班会议再次失败,那么各国会开始怀疑联合国的能力。
 
我们还要说,中国当前的发展速度非常快,谈判需要与时俱进。譬如,中国在哥本哈根会议时也希望提出需要经济支持的提案,但这次,这对中国来说不是太大的问题。
 
问: “京都议定书”将于明年到期,如果各方未能就第二承诺期之前达成协议,你觉得中国的反应会是什么?
 
姜克隽:我觉得“京都议定书未能达成协定”的结局将是难以想象的。没有达到京都议定书最差程度的协定,这将造成一场很难收场的后果。理想的情况下,我们应该有一个修订版本的京都议定书,也就是既考虑77国集团的利益,也符合中国和发达国家的需要。中国也可以在一些问题上商议妥协。
 
问:如果新协议只到2020年,你是否认为它为时已晚?
 
姜克隽:当然太晚了。所以需要一些国家对其2020年排放目标尽其可能做出新的调整。因此,我认为各国应该开始2025年和2030年目标的制订工作。如果这些目标非常明确,那么我们就可以放松对2020年的减排目标的过度重视。
 
徐安琪,耶鲁大学森林与环境研究学院的博士生;宋冉,耶鲁大学森林与环境研究学院工程管理硕士;乔纳森•史密斯,耶鲁大学法学院法学工学博士、林业学院和环境研究学院博士。他们都在出席了德班COP17会议。

Thursday, August 30, 2018

悉尼峰会:重塑对野生动物和保护区的承诺

我的童年是在加利福尼亚度过的,其中的一个华彩篇章就是全家到约塞米蒂国家公园的一次旅行。在那里,我生平第一次被大自然的壮美所震撼。在那样一幅绚丽的图景(野生动物身处广阔的野外空间)面前,我明白了之所以要设立国家公园是因为美国政府曾承诺要为子孙后代保护它们。

从那之后,作为一名保护生物学家和野生动物专业人士我有幸去过世界各地数十个国家公园。在许多地方,这些公园不但充满了自然的壮美,也是当地国家引以为傲的资本。

11月12日到19日,世界野生动物保护界人士将齐聚澳大利亚的悉尼,出席十年一度的世界公园大会(由国际自然保护联盟主办)。我和国际野生生物保护学会的同事,将与数千位来自世界各地政府、保护组织、学界和商界的代表们一起参加这次盛会。

这次大会表明我们正站在一个十字路口。本周,詹姆斯·沃森及其同事在《自然》上发表了一篇具有里程碑意义的论文。其中指出,现在有明确的证据说明,许多国家的政府在其关于建立和支持公园及其它保护区的承诺上出现了后退。

尽管自从2002年的上届世界公园大会以来,受到法律保护的土地和海洋面积有所增加,但实际上公园如今处于四面楚歌的境地。各国政府消减经费、缩减人员,向采伐、能源和矿产开采等商业活动敞开大门的公园数量正在不断增多。此外,有太多的公园的管理不力,甚至名存实亡。

本次大会将让世界面临一个关键的抉择:是继续在浪费珍贵的野生动物和自然资源的道路上越走越远,还是重新决意在世界各地建立公园并进行负责任的保护?

许多公园(尤其是某些领导力不佳、政治意愿缺乏并腐败滋生的发展中国家)被商业偷猎者和野生动物走私者大肆洗劫。非洲和亚洲的公园损失了大量的野生动物,其中超过一半的大型哺乳动物损失都发生在非洲的公园。

当然,现实并非都令人沮丧。尽管资源有限,但许多国家的政府正在尽最大努力保护自己公园里的野生动物。然而,这是一场艰苦的斗争。人类正在继续高速地破坏着这个星球的面貌,这个过程中还伴随着大量野生动植物的灭绝,并对依赖完善的生态系统谋生的当地人带来了巨大的伤害。

在我们继续无休止地破坏自然界的同时,保护从北极到热带丛林、再到深海那些仍然功能完好的原始生态系统,就显得至关重要。如今,公园的面积只占世界陆地面积的13%和海洋面积的3%,而我们需要建立更多的保护区。

如果得到妥善的管理,公园能够有助于保持野生动物的功能性生态密度。不仅能保护标志性物种,还能保护生态系统的功能和服务。有数十亿人直接依靠原始森林提供的自然过滤功能获取淡水。因此通过各种手段把保护区带给我们的诸如此类的收益最大化是非常重要的,这些收益涉及旅游到就业机会、再到森林覆盖率降低的补偿等。

尤其在发展中国家,只有来自公私部门的资助能够显著增加,公园以及其中的野生动物才能继续生存下去。上述《自然》杂志的论文指出,如果要对一个不断扩大的全球海陆公园体系进行充分的管理,每年所需资金为450到750亿美元,相当于全球军费的2.5%左右。

政府和业界必须为公园提供新的资助,但责任并不都在它们身上。它们还必须与公民社会和当地社区结成伙伴关系,共同确保充足的资金、促进落实并形成良好、透明和切实的管理实践。

在本周的悉尼大会上,我和我的同事将强调公园在保护“荒野精华”上的力量。所谓的“精华”就是那些尚未被染指的海陆景观,面对全球性的变化和未来十年世界人口将超80亿的现实,它们是保护物种和自然生态系统的最大希望所在。

我希望,十年后我们在回顾发展历程时能够看到管理良好、资源充裕的海陆公园大量增加,同时健康的野生动物种群和功能完善的原始生态系统也能增多。我们今天制定的优先事项和做出的决定,将影响到自然和人类未来的长远福祉。与过去相比,如今人类的命运和地球的命运已更加密不可分了。

Tuesday, August 28, 2018

राहुल गांधी को बुलाने पर कोई फ़ैसला नहीं: आरएसएस

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को अपने कार्यक्रम में बुलाने को लेकर आरएसएस में किसी तरह का फ़ैसला नहीं हुआ है.
संघ के सह-कार्यवाह मनमोहन वैद्य ने बीबीसी संवाददाता फ़ैसल मोहम्मद अली से कहा कि 'भविष्य का भारत : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का दृष्टिकोण' कार्यक्रम में किसको बुलाया जाएगा इसे लेकर किसी तरह की लिस्ट अभी तैयार नहीं हुई है.
उनका कहना था कि लिस्ट को तैयार होने में अभी समय है.
मीडिया में सूत्रों के हवाले से ख़बरें आ रही हैं कि संघ कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और सीपीएम नेता सीताराम येचुरी को दिल्ली में होने वाले अपने एक कार्यक्रम में बुला सकता है.
राहुल गांधी आरएसएस के घोर आलोचक रहे हैं और उन्होंने अपने भाषण में आरएसएस के लोगों के ज़रिये महात्मा गांधी को गोली मारे जाने तक की बात कही है जिसके लिए संघ उन्हें अदालत भी ले गया है.
चंद दिनों पहले लंदन के एक कार्यक्रम में बोलते हुए राहुल गांधी ने आरएसएस की तुलना मिस्र के अतिवादी इस्लामिक संगठन मुस्लिम ब्रदरहुद से की जिसे लेकर बीजेपी ने सख़्त एतराज़ भी जताया है.
लेकिन सोमवार शाम को टेलीविज़न चैनलों में आरएसएस के राहुल गांधी को बुलाये जाने को लेकर बहसों का दौर जारी रहा. मंगलवार को कुछ अख़बारों में ये भी ख़बर प्रमुखता से छापी गई है.
बीबीसी संवाददाता फ़ैसल मोहम्मद अली ने नागपुर में आरएसएस मुख्यालय फ़ोन कर इस बारे में जानकारी चाही तो संघ के सह-कार्यवाह मनमोहन वैद्य ने कहा कि ''हमारी प्रेस विज्ञप्ति में इस तरह की कोई बात नहीं कही गई है.''
जब उनसे पूछा गया कि इस ख़बर को लेकर सारी मीडिया में ज़ोर-शोर से चर्चा हो रही है तो मनमोहन वैद्य का कहना था कि ''अब कुछ लोगों को ख़बर देने की जल्दी है तो हम क्या कर सकते हैं?''
आरएसएस की वेबसाइट पर 'भविष्य का भारत : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का दृष्टिकोण' को लेकर जो प्रेस विज्ञपति है, उसमें कहा गया है कि ये कार्यक्रम दिल्ली के विज्ञान भवन में सितंबर 17 से 19 के बीच आयोजित होगा जिसमें आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत कुछ गणमान्य व्यक्तियों के समक्ष भाषण देंगे और उनसे विचार-विमर्श करेंगे.
मीडिया में संघ के प्रचार प्रमुख अरुण कुमार के हवाले से कहा गया है कि ''ये हमारे ऊपर है कि कार्यक्रम में अलग-अलग विचारधारा से ताल्लुक रखनेवाले लोगों को निमंत्रित किया जाएगा.''
अरुण कुमार ने ये बात मीडिया के सवाल के जवाब में कही थी.
उन्होंने कहा था, ''हम किसे बुलाएंगे या नहीं ये हमारे ऊपर है. ये हम पर छोड़ दीजिए. लेकिन विभिन्न विचारधारा और राजनीतिक सोच के लोगों को बुलाया जाएगा.''
आरएसएस ने पिछले साल जून में पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को नागपुर बुलाया था, हालांकि पूर्व राष्ट्रपति के वहां जाने को लेकर कई कांग्रेसी नेता और समाज का एक तबका सहज नहीं था, लेकिन पूर्व कांग्रेस नेता वहां गए और उन्होंने संघ के बड़े नेताओं के सामने भारत की साझा संस्कृति की बात की जो आरएसएस की हिंदुत्ववादी विचारधारा से बिल्कुल अलग थी.
कुछ लोगों का मानना था कि आरएसएस कांग्रेस और दूसरी विचारधारा से जुड़े लोगों को बुलाकर अपनी मान्यता और पहुंच को बढ़ाना चाहता है.
राष्ट्रीय जनता दल के सांसद मनोज झा ने कहा कि 'हो सकता है कि आरएसएस से जुड़ी विचारधारा आज राजनीतिक तौर पर मज़बूत दिख रही हो, लेकिन वो ये जानते हैं कि उनकी सोच भारत की सांस्कृतिक विरासत का प्रतिनिधित्व नहीं करती है, इसीलिए पहले प्रणव मुखर्जी को बुलाकर और अब राहुल गांधी और सीताराम येचुरी को बुलाने की बात कर वो अपनी स्वीकार्यता को बढ़ाना चाहते हैं.'

Friday, August 17, 2018

信息图:中国的低碳转型

拯救濒危物种将成为下月在约翰内斯堡举行的一次大会的重要议题。届时,与会各国将重点讨论如何遏制全球(尤其是中国和越南地区)犀牛角及其他动物产品的贸易行为。

南非无疑是第17届CITES(濒危野生动植物种国际贸易公约)大会主办国的最佳之选。因为仅过去2年,该国18000多只野生犀牛中,就有2400只惨遭盗猎者毒手。

盗猎者看中的是犀牛的角。犀牛角在中国和越南传统医学中应用很广泛。环保主义者警告称,除非采取极端有力措施,否则非洲犀牛将在未来十年内走向灭绝。然而
有统计显示,亚洲地区的犀牛角制品的需求正在飞速上升,价格之高甚至超过了实体黄金。面对这样的诱惑,盗猎者自然是变得越来越猖獗,一次次地将魔爪伸向这种标志性的非洲大型动物。

在9月的CITES (濒危野生动植物种国际贸易公约)大会过后,第3届打击非法野生动物贸易大会( )就将于11月份在越南首都河内召开。此次峰会将努力团结全球领袖达成一致政治承诺,共同打击非法野生动物贸易行为。

在此前的历次大会上,我们已经不止一次强调过要从盗猎者手中拯救犀牛、大象和其他濒危物种。这次的大会自然也会探讨可能的解决方案,但是野生动物保护应该算是全球最大的环境危机之一了,所以想迅速找到一个万全之策绝非易事。

世界自然基金会(WWF)、绿色和平和国际野生物贸易研究组织(TRAFFIC)等多个国际非政府组织将共同努力,关注如何更加有效地落实1977年颁布的犀牛角贸易禁令(比如采取更强硬的措施关闭消费国市场),以及如何汇聚更多额外资源,打击非洲国家(武装盗猎团伙的)盗猎活动。

不过也有人认为,通过将犀牛角贸易合法化,满足市场的部分需求,或许可以遏制盗猎分子的犯罪动机。然而此言一出却引发了广泛的争论。

知名环保组织——
世界自然保护联盟非洲天然犀牛特别专家组主席麦克·奈特表示,相比于传统的“强制”措施,这个提议或许能够更有效地保护非洲犀牛。

比如他们就提到了鳄鱼皮的例子。鳄鱼皮交易合法化目前已经帮助多个鳄鱼品种免遭灭绝厄运。支持者指出,如果能够实现犀牛饲养的合法化,那么就可以为它们留出更多的土地,进而帮助保护其他的濒危物种。在这样的保护区或者农场里,人们可以先给犀牛注射镇静剂,然后再进行犀牛角的切割或者说“收获”,而之后过不了多久,新的犀牛角又会再长出来。

提议支持者还认为,如果真等到犀牛即将灭绝的时候,环境保护主义者恐怕还要想出其他的方式才能在短时间内挽救这个物种的命运。

支持者表示,如果我们能够从活体犀牛(以及其他因自然原因死去的犀牛)上以可持续的方式取得犀牛角,那么整个贸易监督过程就会变得更有效,而项目所获收益也可以继续造福物种保护。通过提高全新收获的犀牛角数量,同时将现有犀牛角库存销售合法化,我们可以有效增加整个市场供给。产品价格也会随之出现下降,最终限制盗猎分子犯罪的经济诱因。

与此同时,越南和中国等国也应该通过出台新法和加强公共宣传等方式(如参照抵制鱼翅汤的行动)来降低市场需求。但是这种做法恐怕无法在短期内成型或取得成效。鉴于过去10年非法盗猎的蔓延速度之猖獗,目前时间已不多。

中国和越南在这场战役中的重要性,不仅仅局限于他们在犀牛角市场中所占的巨大份额。
国际野生物贸易研究组织(TRAFFIC)宣传总监萨布里·扎因指出,这些非法产品的经销商在中越等国通过社交媒体和因特网大肆宣扬犀牛角的一些可能具有的医疗价值,比如甚至可以治愈癌症。

批评人士则指出,这些商人和盗猎分子肯定是不会参与这个许可机制的,而且所谓“合法产品”的供给也根本不能撼动现在高昂的市场价格与客户需求。他们认为,这种贸易合法化的做法可能反而会让问题变得更严重。

Friday, August 10, 2018

绿色金融不应支持污染产业里的“最优技术”

今年10月,联合国环境规划署特别顾问、G20绿色金融研究小组共同主席、中国绿金委主任马骏在一次专访中就中欧绿色债券标准之所以存在差异提出了其个人的见解。马骏认为发展中国家和发达国家在设定绿色金融标准时优先考虑的事项有所区别。中国作为发展中国家,相对于降低碳排放,空气污染问题更迫切需要得到解决,因此中国的绿色金融需要去支持燃煤电厂升级改造等煤炭清洁利用项目。

污染产业里的“最优技术”

的确,如马骏所说,空气污染问题无论在中国的政治议程还是公众诉求上都具有极高的优先级。根据绿色和平发布的
PM2.5城市排名,2016年中国仍有近四分之三的城市PM.2.5没有达到国家环境空气质量标准。但一个不能忽视的事实是中国的大气污染物与温室气体是同根同源的。环保组织自然资源保护协会发布的《煤炭使用对中国大气污染物的贡献能源结构对煤炭的过度依赖是导致中国大气污染的主要原因,洁净煤技术中对煤电的升级改造尽管降低了煤电的大气污染物排放强度,但依旧无法改变的是煤电行业是大气污染物的主要排放源,根据《2016中国环境统计年鉴》,2015年电力供应业排放的二氧化硫、氮氧化物和烟尘占总排放的36.1%、48.7%和20.5%。

中国现行绿色债券标准中支持的煤化工技术,因高碳排、高耗水、高污染等属性一直饱受争议。不久前有新闻报道山西晋煤华昱煤化工有限责任公司通过绿色债券融了15亿元,用于新建高硫煤清洁利用工业园。该项目投产后的年排放的二氧化碳可能高达190万吨/年,相当于中国2014年关停火电厂带来的二氧化碳减排量的
六分之一。该项目发行的债券之所以被谨慎地认定为是绿色债券的主要原因是该项目使用的是当下最优的生产工艺。

煤电和煤化工行业都属于高污染行业,能否将高污染行业中的先进技术定义为“绿色”却是值得探讨的,毕竟虽然棕色比黑色要清澈一些,但距离绿色也是甚远的。》指出在全国层面,煤炭使用对PM2.5年均贡献约在50%至60%之间。马骏在其著作《PM2.5减排的经济政策》中指出国的重化工为主导的产业结构、煤炭为主的能源结构和公路交通为主的运输结构是加剧雾霾的结构性原因。
尽管煤电或者煤化工的技术升级改造可以减少单一项目的污染物排放强度,但如果考虑煤炭行业中涉及的开采、运输和消费等全生命周期的环境影响,则绿色金融对洁净煤的支持所产生的环境效益很可能为负。《2012煤炭真实成本》报告指出吨煤产生的环境和健康影响为260元人民币,其中煤炭生产的外部损害成本为66.3元/吨煤,约占25%;煤炭运输的外部损害成本为27.8元/吨煤,约占11%;煤炭消费的外部损害成本为166元/吨煤,约占64%。如果中国的绿色金融将煤电和煤化工这些污染行业里的最优技术定义为“绿色”,那未来整个煤炭产业链都将受益于绿色债券和绿色信贷等绿色金融政策红利,从而导致本应支持可再生能源和其它清洁产业发展的资金流向了煤炭产业,增强了整个煤炭产业的生命力,这必然会减缓中国能源革命的进程和空气质量改善的速度,这显然与绿色金融的初衷不符。

中国以煤为主的能源结构让中国必须去清洁利用煤炭,但这不等同于中国要将煤炭行业中的最优技术定义为“绿色”。中国应该做的是清洁利用煤炭同时去减少煤炭消费,从而逐渐过度到真正的绿色能源。目前中国发改委和人民银行正在修订绿色债券标准,两部门应趁此机会更加严格的定义绿色金融中的“绿色”,让中国的绿色债券和绿色金融更加清澈。