Tuesday, September 24, 2019

छत्तीसगढ़ में नक्सली हमला, तीन की मौत

छत्तीसगढ़ के कांकेर ज़िले में रावघाट रेल परियोजना के ट्रैक निर्माण में लगे डीज़ल टैंकर को माओवादियों द्वारा विस्फोट कर उड़ा दिया गया. घटना में तीन लोगों मारे गए हैं.
मारे जाने वाले सभी लोग रावघाट रेल परियोजना में कार्यरत एक निजी कंपनी के कर्मचारी बताए जा रहे हैं.
छत्तीसगढ़ में नक्सल ऑपरेशन के आईजी सुंदरराज पी के अनुसार, "कांकेर के ताड़ोकी इलाक़े के तुमपाल में रावघाट रेल परियोजना के ट्रैक निर्माण में लगे डीज़ल टैंकर को माओवादियों द्वारा विस्फोट कर उड़ा दिया गया. जिसमें तीन लोग मौक़े पर ही मारे गये हैं."
पुलिस के अनुसार इस विस्फोट के तुरंत बाद मौक़े पर उपस्थित सुरक्षा बल के जवानों ने संदिग्ध माओवादियों को घेरते हुये फायरिंग की.
माओवादी इन दिनों नक्सल आंदोलन के 50 साल पूरे होने पर शहीदी सप्ताह मना रहे हैं.
माओवादियों ने यह हमला ऐसे समय में किया है, जब एक दिन पहले ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पिछली सरकार में शुरु की गई रेल परियोजनाओं और कोल खदानों को लेकर यह कहते हुये नाराज़गी जताई थी कि इससे आम जनता को क्या लाभ मिल रहा है, 15 दिनों के भीतर पहले इसकी समीक्षा की जाए.
उत्तर बस्तर के कांकेर और नारायणपुर ज़िले में स्थित रावघाट की पहाड़ियों में लौह अयस्क के छह ब्लॉक हैं, जिनमें 712.48 मिलियन टन लौह अयस्क होने का अनुमान है.
भारत सरकार के उपक्रम स्टील अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड यानी सेल के भिलाई इस्पात संयंत्र ने पहली बार 30 अगस्त, 1983 को रावघाट की लौह अयस्क की खदानों के लिए भारत सरकार को आवेदन दिया था. लेकिन अलग-अलग कारणों से यह आवेदन रद्द होता रहा.
इस बीच छत्तीसगढ़ सरकार ने 9 जून, 2003 को 456 मिलियन टन क्षमता वाले एफ ब्लॉक के कोरेगांव की खदान को निजी कंपनी को देने की मंज़ूरी दे दी. हालांकि बाद में 4 जून, 2009 को भारत सरकार ने भिलाई इस्पात संयंत्र को ही पूरे एफ ब्लॉक में खनन का अधिकार सौंप दिया.
इसके अलावा कई बड़ी निजी कंपनियां भी लौह अयस्क के खदानों को हासिल करने में जुटी हुई हैं.
इन्हीं लौह अयस्क की ढुलाई के लिये 235 किलोमीटर लंबी रेल लाइन का काम चल रहा है.
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान और अमरीका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप के बीच सोमवार को न्यूयॉर्क में मुलाकात हुई. मुलाकात से पहले ट्रंप और इमरान ख़ान ने एक संवाददाता सम्मेलन में कुछ सवालों के जवाब दिए.
एक सवाल के जवाब में ट्रंप ने कहा कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को हुए हाउडी मोदी कार्यक्रम में 59 हज़ार लोगों के सामने बहुत ही आक्रामक बयान दिया था.
उन्होंने कहा, "भारत और प्रधानमंत्री मोदी की ओर से कल बहुत एग्रेसिव बयान सुना और मैं वहीं मौजूद था. मुझे नहीं पता था कि मुझे ये बयान सुनने को मिलेगा. वहाँ मौजूद लोगों को ये बयान अच्छा लगा लेकिन ये बहुत ही आक्रामक था."
नरेंद्र मोदी ने रविवार को ह्यूस्टन में हुए हाउडी मोदी कार्यक्रम में पाकिस्तान का नाम लिए बगैर कहा था कि "भारत के फैसलों (कश्मीर पर) से उन्हें दिक्कत है, जिनसे अपना देश नहीं संभल रहा. ये वो हैं जो चरमपंथ को पालते-पोसते हैं."
ट्रंप ने कहा कि वो उम्मीद करते हैं कि पाकिस्तान और भारत साथ आएंगे और कुछ ऐसा करेंगे जो दोनों के लिए अच्छा हो. और वो मानते हैं कि हर चीज़ का हल होता है और इसका भी हल होगा.
डोनल्ड ट्रंप ने एक बार फिर दोहराया कि अगर भारत और पाकिस्तान दोनों कहेंगे तो वो कश्मीर के मुद्दे पर मध्यस्थता के लिए तैयार हैं.
उन्होंने कहा, "अगर मुझे मध्यस्थता के लिए कहा जाएगा, तो मैं तैयार हूं, करना चाहता हूं और करने में सक्षम हूं. ये पेचीदा मामला है. ये मामला लंबे वक्त से चल रहा है. अगर दोनों चाहेंगे तो मैं मध्यस्थता के लिए तैयार हूं. लेकिन भारत का तैयार होना भी ज़रूरी."
जब एक पत्रकार ने उनसे पूछा कि क्या वो कश्मीर में बनी मानवाधिकार की स्थिति से चिंतित हैं? तो उन्होंने कहा कि "हां. मैं चाहता हूं कि सबकुछ ठीक हो जाए और सब लोगों के साथ अच्छे से व्यवहार किया जाए."
ट्रंप ने कहा कि पाकिस्तान ने चरमपंथ से निपटने में प्रगति की है. उन्होंने कहा कि इमरान ख़ान इस मामले में प्रगति करना चाहते हैं. "इसका कोई दूसरा हल नहीं है. दूसरी ओर सिर्फ़ कर्ज़ और गरीबी है."
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने कहा कि डोनल्ड ट्रंप दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश का नेतृत्व करते हैं.
उन्होंने कहा, "दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश का एक दायित्व भी होता है. आपने मध्यस्थता की पेशकश की थी और आपने ये भी कहा था कि इसके लिए दोनों देश तैयार होने चाहिए. लेकिन दुर्भाग्य से भारत हमसे बात करने से इनकार कर रहा है. इस स्थिति में मुझे लगता है कि ये एक बड़े संकट की शुरुआत है."
इमरान ख़ान ने कहा, "मुझे ईमानदारी से लगता है कि कश्मीर का ये संकट बहुत बड़ा होने वाला है. अमरीका सबसे शक्तिशाली देश है और वो संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को प्रभावित कर सकता है. इसलिए हम चाहते हैं कि अमरीका इस मुद्दे को उठाए."
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान दोनों ही संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में हिस्सा लेने के लिए अमरीका में हैं.
इमरान खान इससे पहले कह चुके हैं कि वो संयुक्त राष्ट्र के नेताओं के सामने कश्मीर का मसला उठाएंगे.